हमारे विचार एवं हमारी भावनाएं ही हमारी जिंदगी का निर्माण करती है। जैसा हम सोचते है और जैसा महसूस करते है, वैसा ही बन जाते है। जैसी हमारी इच्छायें होती है, वैसी ही हमारी सोच होती है, और जैसी हमारी सोच होती है, वैसे ही हमारे कार्य होते है, और जैसे हमारे कार्य होते है, वैसे ही परिणाम होते है, और वैसा ही हमारा जीवन होता है।
दरअसल सुबह से लेकर शाम तक हम सोचते है, लेकिन हम यह नही सोचते है कि, हम क्या सोचते है? जबकि सोच एवं विचार से हमारे जीवन पर बहुत बड़ा फर्क पड़ता है। जो हम सोचते है वही हमारे जीवन में घटित होने लगता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह हमारे लिए अच्छा है या बुरा।
हम एक ऊर्जा शासित सृष्टि में रहते है। हम सब इस पृथ्वी पर एक उर्जा ही है, और हमारे जीवन में भी वही नियम लागू होते है, जो इस सृष्टि में एक अणु से लेकर ग्रहों की गतियों तक सभी ऊर्जा को शासित करता है। जैसा कि रॉण्डा बर्न ने अपनी पुस्तक द सीक्रेट में बताया है कि हमारे विचारों की एक फ्रीक्वेंसी होती है, जिसके अनुसार समान ही समान को आकर्षित करता है। आकर्षण का नियम ही है जिसकी बदौलत हर जीवित प्राणी की कोशिकाएं एक साथ जुड़ी रहती है, जिसकी बदौलत हर भौतिक वस्तु का स्वरूप कायम है। हमारे जीवन में भी यही नियम हमारे विचारों और भावनाओं पर लागू होता है। हम जैसा भी सोचते है, और जैसा महसूस करते है, वैसा ही अपनी ओर आकर्षित करते है। और जब हम किसी भी विषय/वस्तु पर सोचने व महसूस करने की प्रकिया से गुजरते है तो दरअसल हम उस पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे होते है, और जब हम किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो वह अमुक चीज सक्रिय होना शुरू हो जाती है। क्योंकि ध्यान का कार्य सिर्फ सक्रिय करना है, न कि विश्लेषण करना है, इससे कोई फर्क नही पड़ता है कि वह चीज हमारे लिए उपयोगी है अथवा नही।
जब तक हम अपने विचारों के प्रति सजग नही होंगे, तब तक हम उस चीज को अपने जीवन में घटित होता नही देख पाएंगे जिसे हम पाना चाहते है। अपनी सोच एवं विचारधारा के प्रति सजग न होने का मतलब यह है कि हमारे मस्तिष्क में नकारात्मक सोच प्रवेश कर हमारे सपनों को सक्रिय होने से पहले ही नष्ट कर देगे। जैसे एक किसान अपनी भूमि में फसल बोने के पहले ही सुनिश्चित कर लेता है कि उसे कौन सी फसल बोनी है? यदि वह किसी कारण से ऐसा नही कर करता है तो उसकी भूमि में प्रकृति घास-फूस , काँटे इत्यादि उगा देती है। क्योंकि प्रकृति स्वतः रिक्त स्थानों की पूर्ति कर लेती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह किसान के लिए उपयोगी है अथवा नही।
कहने का आशय यह है कि हमे अपने विचारों के प्रति सजग रहना चाहिए, और हम अपने जीवन मे जो पाना चाहते, और जो बनना चाहते हैं, उसके बारे में हमे पूर्णरूप से स्पष्ट होना चाहिए, इसमे किसी भी प्रकार का कोई संदेह नही होना चाहिये। जब हम अपने लक्ष्य के बारे में स्पष्ट हो जाते है कि हमे अपने जीवन में क्या चाहिए तो हमारी सोच, विचार एवं हमारी भावनाएं हमारे लक्ष्य पर केंद्रित होने लगती हैं, ततपश्चात उस लक्ष्य पर एकाग्रचित्त होकर अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा का उपयोग कर हम अपने जीवन में सफलता को प्राप्त कर सकते है।
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Priya
Very well written mind blowing sir ,you have deep knowledge about thoughts and feelings thank you so giving such precious knowledge excellent
RAHUL
Beautiful thoughts and explanation
Priya
Excellent thoughts great
Shivam
Golden words👏👏
Abhishek saroj
Beautiful words 👏👏 Thank you sir for inspiring me to think positive
Satyam verma
Life changing lessons thanks sir
Suhani kumari
Very beautiful thoughts 👌👍🏻👍🏻
Jyoti Khandait
Very well written Dinesh ji,keep writing and inspiring all of us🙏